मेरी कविता --"है गरीबी "
कहा खो गया मेरा बच्चपन ,
धुल से सने चेहरा दिखाये यह दरपण .
कभी ट्रेन में तो कभी सडको पे खडा में ,
दो पैसो के लिये तुमसे लड़ा भी में ,
कभी परियो के मीठे सपनो की ,
चादरे ओढ़ कर सोया में .
कभी तुम्हारी गालिया सुनकर ,
भूखे पेट जागा में .
जब आँखों में अंशु आये ,
मोती समाज छुपा लिया इन्हे ,
जब बासी रोटिया पाए ,
5 star का खाना समाज कर खा लिया इन्हे .
कल क्या पता , सपने वाली पारी का जादू चल जाये ,
टूट - ते तारे मेरी दुआ सुन्न जाये ,
और ,मेरा मुस्कराता बच्चपन फिर लौट आये .
posted by "Subhash Khaware --subhash_khaware@rediffmail.com"
skip to main |
skip to sidebar
the real truth, haiiiii friends welcome u all. this is nikhil nishchal . B.Tech. comp. contact :- 09887758059.
Labels
- Dr. Abdul Kalaam (1)
- failure (1)
- India (1)
- Indian (1)
- motivation (1)
- shiv kheda (1)
- success (1)
Blog Archive
About Me
- nikhil.nishchal007
- i m a simple and lucky man with simplicity and full support of parent , friends and teachers, Brother and Sisters.Thanks to all , because i m Lucky....
1 comments:
This is really touching to heart
Post a Comment